Posts

Showing posts from January, 2023

हृदय सँ सम्बन्धित बीमारी(अस्थिर एनजाइना)

 आइ हम हृदय सँ सम्बन्धित किछु सामान्य बीमारी सभक चर्चाक प्रारम्भ कए रहल छी। सर्वप्रथम बीमारी आ बीमारी चिनहैक लेल अनेकानेक परीक्षण विषय मे।  * *अस्थिर एनजाइना**  एहि मे छाती , बैंह, जबड़ा, कन्हा, गर्दैन मे दर्द एवं खिंचावक अनुभूति होमय लगैत अछि। आराम के स्थिति मे या कोनो मिहनत नहियों केलाक स्थित मे एहि तरहक दर्द होइत अछि। साँस फुलनै,पसीना एनै, रद्द भेनै, पेट मे दर्द भेनै, चक्कर एनै, थकान लगनै,बेहोशी एनै इत्यादि सभ सेहो भ सकैत अछि। कखनो काल एहि सब लक्षण कें ठीक सँ नहि बूझि पबैत छथि। मगर एहि सब पर ध्यान देबाक चाही। कखनो काल पेट मे गैसक कारण सँ सेहो छाती मे दर्द होइत अछि। ओ किछु खेला पिलाक कारण सँ होइत अछि आ ओ थोरे कालक बाद स्वयं ठीक भ जाइत अछि। स्थिर एनजाइना मे दर्द शरीरक स्थिति बदलला पर आराम होइत अछि। समुचित दवाइ और आराम ओकर उपचार थिक।  अस्थिर एनजाइना कें गंभीर मानि तुरन्त  और शीघ्राति शीघ्र नीक चिकित्सक एवं चिकित्सालय सँ संपर्क करवाक चाही। एहि मे दर्दक अनुभूति शरीरक कोनो पैटर्न मे होइते रहैत अछि। शरीरक पैटर्न पर निर्भर नहि रहैत अछि । **अस्थिर एनजाइनाक वास्ते या अन्य हृदय सम्बन्धित बीमारी

हृदय मे अवस्थित वाल्व(वाल्व)

  आई हम वाल्व के चर्चा कए रहल छी। वाल्व हृदयक चैम्बर सभ मे नस कें बीच फाइबर सँ बनल फ्लैप होइत अछि जे रक्त के सदैव आगाँ तरफ जाय , पाछाँ तरफ घुरि नहि अबैक ताहि लेल उपस्थित रहैत अछि। वाल्व सुनिश्चित करैत अछि जे रक्तक वहाव एक्के दिशा (Unidirection) मे होइक। वाल्वक कार्यक अनुसार ओ दू प्रकारक होइत अछि। 1.एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व:-  एट्रिया और वेंट्रिकलक बीच जे वाल्व होइत अछि ओकरा एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व कहल जाइत अछि। दहिना कातक एट्रिया आ वेंट्रिकल कें बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा ट्रिकसपिड(Tricuspid)   वाल्व कहल जाइत अछि। ओही तरहें वामा तरफ एट्रिया आ वेंट्रिकल कें बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा मिटरल(Mitral) वाल्व कहल जाइत अछि। 2.सेमिळूनर वाल्व(अर्ध चंद्राकार वाल्व):- वामा कातक वेंट्रिकल तथा  ऐरोटाक बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा सेमिळूनर वाल्व कहल जाइत अछि। ओही तरहेँ दहिना कातक वेंट्रिकल तथा पल्मोनरी धमनीक बीच एक टा वाल्व रहैत अछि तकरो सेमिळूनर वाल्व कहल जाइत अछि। सारांश मे हृदयक वाह्य एवं आंतरिक सभ अंगक चर्चा कएल  अगिला ब्लॉग मे हृदय सम्बन्धित बीमारी , लक्षण, परीक्षण(tests) आ उपचार इत्यादि विषय मे

हृदयक आंतरिक संरचना।

 हृदयक आंतरिक संरचना। रक्त वहाव नियंत्रण हेतु हृदयक अंदर प्रकोष्ठ एवं वाल्व निरंतर कार्य करैत अछि। मानव हृदय मे चारि गोट प्रकोष्ठ(चैम्बर) होइत अछि। निच्चा चारुक नाम अछि। 1.वाम भागक एट्रियम 2.दहिना भागक एट्रियम 3. वाम भागक वेंट्रिकल 4.दहिना भागक वेंट्रिकल एट्रियम/एट्रिया  एट्रिया वेंट्रिकल से छोट होइत अछि। एट्रियाक दीवाल वेंट्रिकल कें तुलना मे पातर आ थोड़ेक कम माँशपेशी वला होइत अछि। एट्रिया रक्त प्राप्त करैक हेतु एक प्रकोष्ठ होइत अछि जे बड़ी नस(Large vein) सँ रक्त प्राप्त करैत अछि। वेंट्रिकल वेंट्रिकल नमहर प्रकोष्ठ होइत अछि संगहि ओ अधिक माँशपेशी सँ बनल होइत अछि। ओ पम्प करैक काज करैत अछि। पम्प  कए ओ रक्त कें संचरण(सर्कुलेशन) हेतु धकेल दैत छैक। ओ बड़ी धमनी सँ जुरल रहैत अछि जेकि  रक्त परिसंचरण हेतु रक्त निर्गत करैत अछि। दहिना एट्रियम एवं दहिना वेंट्रिकल वाम भागक प्रकोष्ठ(एट्रियम एवं वेंट्रिकल) सँ तुलनात्मक दृष्टि सँ छोट होइत अछि। ओकर (दहिना  भागक प्रकोष्ठ) दीवाल सेहो कनी पातर होइत छैक, आकार सेहो कम होइत छैक, कनी कम मांशपेशी वला होइत अछि कारण दहिना आ वाम भाग वला प्रकोष्ठक कार्य अलग अलग अछि। जे

हृदयक वाह्य संरचना।

 *हृदयक  वाह्य संरचना।* (1).हृदयक वाह्य संरचना मे सर्वप्रथम पेरीकार्डियम होइत अछि। ह्रृदय एक तरल सँ भरल कैविटी मे अवस्थित रहैत अछि। ओहि कैविटी कें पेरिकार्डियल कैविटी कहल जाइत अछि। एहि  कैविटीक दीवाल और परत झिल्ली रूप मे रहैत अछि आ तकरे पेरीकार्डियम कहल जाइत अछि। ई पेरीकार्डियम, हृदय कें फाइबर झिल्ली सँ चारु कात सँ घेरि सुरक्षित केने रहैत अछि। ओ एक टा तरल श्रावित सेहो करैत रहैत अछि जे हृदय लेल चिकनई(Lubricant) पदार्थ थिक आ ओहि सँ हृदय अन्य अंगक घर्षण सँ सुरक्षित होइत अछि। हृदय जे फैलइत सिकुरैत अछि ताहि लेल सेहो पेरीकार्डियम मे ओतेक खाली जगहक(hollow space) व्यवस्था रहैत अछि जाहि सँ हृदय कें अपन पूर्ण अधिकतम आकार लेबा मे आसानी रहैक । अर्थात  हृदयक जगह समावेश (positioning) लेल पेरीकार्डियम युक्त रहैत अछि।  पेरीकार्डियम 2 परत मे होइत अछि। (क)पहिल बाह्य परत कें विसेरल परत कहल जाइत अछि। ई परत सीधा हृदय के बाहर तरफ सँ घेरने रहैत अछि। (ख) विसेरल परत सँ ठीक बाद दोसर परत होइत अछि जे पेरीटल परत कहल जाइत अछि।  पेरिटल परत  थैलीनुमा(sac) रूप मे होइत अछि जे हृदयक वाह्यतम भाग मे रहैत अछि ।  कैविटी युक

हृदय(Heart)

 *मानव हृदय* हृदय मुट्ठी आकारक एक अंग होइत अछि जे सम्पूर्ण शरीर में सभ अंग के रक्त भेजैक लेल  रक्तक पंप करैत अछि। हृदय रक्त वहिका तंत्रक मुख्य और प्राथमिक अंग थिक आ ओकर चारि प्रकोष्ठ होइत होइत अछि । ई प्रकोष्ठ सभ मांशपेशी सँ बनल रहैत अछि तथा ओ विद्युतीय आवेग सँ संचालित होइत रहैत अछि। हृदय वक्ष(thorax) के अंदर छातीक बाँयाँ भाग मे अवस्थित रहैत अछि। शरीरक सभ अंग सँ आयल रक्त के हृदय पंप कए लंग्स(Lungs) मे पहुँचबैत अछि आ ओतय सभटा रक्तऑक्सीजन सँ युक्त भए जाइत अछि। पुनः ई ऑक्सीजनयुक्त रक्त  लंग्स सँ हृदय मे लौट अबैत अछि आ हृदय ई ऑक्सीजनयुक्त रक्त कें पम्प कए सम्पूर्ण शरीरक सभ अंग के पठबैत अछि। हृदयक विषय मे ई एक रोचक बात अछि जे मनुष्यक  हृदय पूरा जिनगी मे  औसत करीब साढ़े तीन अरव बेर  धडकैत अछि। एकर वजन मात्र 200 सँ 425 ग्राम होइत अछि। रोज ओ 6000 सँ 7500 लीटर रक्त कें पम्प करैत अछि। *हृदयक मुख्य कार्य* 1. पम्प कएऑक्सीजनयुक्त  रक्त  कें सभ अंग मे पठेनै। 2.शरीरक सभ अंग लेल आवश्यकीय तत्व आ हॉर्मोन संचरण हेतु कार्य करैत अछि। 3.  शरीरक अंग सभ सँ न्यून ऑक्सीजनयुक्त रक्त कें प्राप्त केनाय आ ओकरा पम्प

लिवर बीमारीक सुरक्षा, ओकर जांच आ उपचार

 *लिवरक बीमारी आ ओकर सुरक्षा एवं उपचार।*   जँ अपन खान पान और जागरूकता सुदृढ रहय तँ अधिकाधिक संभावना रहैत अछि जे लिवर सम्बन्धित बीमारी सँ बाँचल रही।  सुरक्षा हेतु की सब पर ध्यान देबाक चाही  , किछु बात निच्चा बता रहल छी। 1.  मदिरा पान  बिल्कुल नहि करू आ जँ करबे करैत छी तँ बिल्कुल अल्प मात्रा एवं संजमित रूप सँ। 2. शरीरक वजन अगर बढि रहल अछि तँ ओहि पर ध्यान दियौक जे अधिक नहि बढ़ए। 3.मधुमेह बीमारी खास क टाइप 2 हेबा सँ बाँचल रहू। कम और समुचित ग्लायसेमिक लोड बला आहार सँ त एहि बीमारी सँ बाँचल रहल जा सकैत अछि। 4. शरीर पर कोनो तरहक टैटू नहि बनबेबाक चाही। 5. शरीर मे जँ सुइया लेबाक प्रयोजन पड़ैत अछि तँ ध्यान देबाक चाही जे जाहि सुइयाक प्रयोग भ रहल अछि ओ बिल्कुल दोसरा के सुइया दै मे प्रयोग नहि भेल हो। अर्थात बिल्कुल नया । 6. दोसराक शरीरक रक्त या शरीर तरल सँ संपर्क सँ सुरक्षित रहबाक चेस्टा करू। 7. खून चढेवाक प्रयोजन पड़ला पर ध्यान देवाक चाही जे ई पूर्ण सुरक्षित अछि। 8. असुरक्षित सेक्स बिल्कुल नहि। 9. किछु ओहेन रसायन या टोक्सिन होइत अछि जाहि सँ लिवर बीमारीक संभावना रहैत अछि। एहि सँ सुरक्षित रहक चाही। 10.

लिवर (यकृत) / जिगर

 लिवर(Liver) लिवरक नाम  यकृत , जिगर , कलेजा सेहो अछि। पाचन तंत्रक एक अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग अछि। ई एक प्रकारक ग्रंथि छी। शरीरक आंतरिक अंग में लिवर सबसँ नमहर अंग /ग्रंथि  होइत अछि। ओकर आकार फुटबॉल जकाँ होइत अछि। मुख्यतया ओ पेटक उपरका भाग मे दाहिना तरफ होइत अछि। डायफ्राम के निच्चा आ  अमाशय(stomach) सँ ऊपर। एकर थोरे बहुत भाग  पेटक बांयाँ तरफ तक सेहो रहैत अछि। एकर वजन करीब डेढ़ किलो होइत अछि। शरीर मे पाचन क्रिया  तथा शरीरक सुरक्षा(defence) मे  लिवरक बहुत अधिक महत्व अछि।  शरीरक अंदर सैकड़ों रासायनिक क्रिया मे लिवरक भूमिका महत्वपूर्ण अछि। शरीर मे आनो अंगक अवश्यकीय रसायन सभ लिवर द्वारा श्रावित होइत अछि तें ओकरा आवश्यक ग्रंथि कहल जाइत अछि। सारांश मे लिवरक मुख्य कार्य अछि 1. पाचन तंत्र सँ  अवै वला सभ रक्त कें शुद्ध क अन्य अंग कें आपूर्ति करैत अछि। 2. शरीरक अंदर  रासायनिक प्रक्रिया मे जे कोनो  हानिकारक(toxic) रसायन बनैत अछि तकरा हानिरहित(detoxify) करैत अछि। 3. दवाइ जे हम सब खैत छी ओकरा मेटाबोलाइज क शरीर द्वारा अवशोषित हेवाक योग्य रसायन मे परिवर्तित करैत अछि। 4.शरीरक अंदर विभिन्न तरहक कार्य हेतु वि

किडनी सम्बन्धित बीमारी हेतु उपचार

  वास्तविकता अछि जे एकर उपचार मे ई ध्यान देल जाइत अछि जे बीमारी होइक कारण की सब छलैक। कहीं शरीरक रक्त चाप नहि त बढ़ल रहैत छलैक, कहीं मधुमेह नहि त बढि गेल छलैक, कहीं कोलेस्ट्रॉल नहि त बढ़ल छलैक, ई सब ध्यान मे रखैत चिकित्सक ओहेन दवाइ दैत छथि जाहि सँ ई सब नियंत्रण मे रहैक आ किडनीक खराबी और नहि बढ़ै । किडनी अपन कार्य करैत रहैक ओकर ध्यान देल जाइत अछि, अर्थात ओकर कार्य करैक क्षमता संरक्षित रहैक। एहि मे चिकित्सक फूलनाइ कम होइ लेल तथा लाल रक्त कोशिका मे बृद्धि होइक लेल(जँ एनीमिया भ गेल छैक) दवाइ द सकैत छथि अगर एहि सब तरहक लक्षण देखा पड़ैत छैक। समुचित डाइट या खानपानक  महत्व दवाइ सँ कम नहि तें ओहि पर ध्यान देनाय अति आवश्यक भ जाइत छैक। किडनी संदर्भित बीमारीक कारण सभ कें दूर करवाक लेल नीचा लिखल किछु परामर्श अछि। 1. खान पान और दवाइ के प्रवन्धन ओहेन हेवाक चाही जे मधुमेह बिल्कुल नियंत्रण मे रहय। 2.अधिक कोलेस्ट्रॉलयुक्त पदार्थ नहि खेबाक चाही। 3. प्रति दिनक आहार मे नूनक मात्रा कम करी। 4. जे पदार्थ हृदय(heart) स्वास्थ्य लेल बढियां नहि छैक जेना तेल घी के आहार मे वर्जित या कम करू।  ओहि लेल बढियां जे होइत छैक

किडनी बीमारी संबंधित अन्य आवश्यकीय बात।

 *किडनी बीमारीक लक्षण*  जावत धरि लक्षण नहि अबैत अछि तावत धरि किछु पता नहि चलैत अछि जे किडनी क्रमिक खराब होइ के तरफ अछि। तें हेतु ओकर सुरक्षा (prevention) हेतु ध्यान रहक चाही आ समय समय पर जांच सेहो करेबाक चाही। छोट मोट लक्षण त पता सेहो नहि चलि पबैत अछि आ ओकरा लोक ध्यानों नहि द पबैत अछि। (क)छोट मोट लक्षण 1. अपन प्रति दिनक दिनचर्या पर , काज सभ पर फोकस नहि क पबैत छी आ चिकित्सक स्ट्रेस के अनुमान लगा दवाइ सेहो द दैत अछि। 2. थकान थकान के अनुभूति होइत अछि। शारीरिक स्फूर्ति कम भ गेल अछि ई अनुभूति कs आलस्य मे रहैत छी। 3. ठीक सँ सुतैत नहि छी। कहैत छी जे नीन्द मे दिक्कत भ रहल अछि। 4.अरुचि सेहो भ जाइत अछि। भोजन रुचि पूर्वक नहि करैत छी। 5.अनुभव करैत छी जगह जगह हमर  माँश पेशी ऐंठ रहल अछि। 6. पैर और टखना फुलि जाइत अछि। 7.आँखि केर निचुलका हिस्सा सेहो फूलि जाइत अछि। 8. शरीरक त्वचा रुक्ष भ जाइत अछि। 9. देर रात्रि मे पेशाबक वेग किछु अधिके आबय लगैत अछि। ई सब भेल छोट छोट लक्षण । मगर एहि सब लक्षण सँ एहि निष्कर्ष पर कदाचित नहि जा सकैत छी जे किडनी बीमारी भइये गेल। मगर संभावना त अछिये जे हो न हो कहीं किडनी बीमा

किडनी आ ओकर संबंधित बीमारी

  पाचन तंत्र मे किडनीक भूमिका अति महत्वपूर्ण होइत अछि।  आइ काल्हि देखि रहल छी जे अधिकांश लोक किडनी सम्बंधित बीमारी सँ ग्रसित भ जाइत छथि।  हम किडनी आ ओहि सँ सम्बंधित बीमारी आ ओकर सुरक्षा आ उपचार विषय मे चर्चा कय रहल छी। किडनीक भूमिका शरीर मे उपस्थित लवण, पोटासियम, फॉस्फोरस इत्यादि कें नियंत्रित करै मे मुख्य अछि। किडनिक बीमारी अहाँक खाइ-पिबैक  आदैत , जीवन चर्या,  आ  वंशानुगत कारक इत्यादि कारण सँ होइत अछि। किडनी जोड़ा मे होइत अछि, ठीक पाँजारक निच्चा मे। ओकर आकार मुट्ठी जकाँ होइत अछि।  ओ मेरुदंडक दुनू भाग मे रहैत अछि । एक टा एक भाग आ दोसर दोसर भाग मे। किडनी स्वस्थ रहैक लेल परम आवश्यक अंग होइत अछि। ओ रक्त के छानि शुद्ध करैत अछि। रक्त मे अवस्थित विषाक्त पदार्थ, व्यर्थ पदार्थ या अन्य सब दोषपूर्ण  पदार्थ के छानि कें हटा दैत अछि। ई व्यर्थ पदार्थ सब थैली मे जमा भ जाइत अछि आ ओ पेशाव माध्यम सँ वाहर निकैल जाइत अछि। किडनी शरीरक पीएच(PH) नियंत्रित करैत अछि, ओ एक तरहक हॉर्मोन श्रावित करैत अछि जे रक्त चाप नियंत्रित करैत अछि,  रक्त कोशिका निर्माणक प्रक्रिया मे सेहो किडनिक भूमिका अछि आ ओ एक तरहक  विटामिन