किडनी बीमारी संबंधित अन्य आवश्यकीय बात।
*किडनी बीमारीक लक्षण*
जावत धरि लक्षण नहि अबैत अछि तावत धरि किछु पता नहि चलैत अछि जे किडनी क्रमिक खराब होइ के तरफ अछि। तें हेतु ओकर सुरक्षा (prevention) हेतु ध्यान रहक चाही आ समय समय पर जांच सेहो करेबाक चाही। छोट मोट लक्षण त पता सेहो नहि चलि पबैत अछि आ ओकरा लोक ध्यानों नहि द पबैत अछि।
(क)छोट मोट लक्षण
1. अपन प्रति दिनक दिनचर्या पर , काज सभ पर फोकस नहि क पबैत छी आ चिकित्सक स्ट्रेस के अनुमान लगा दवाइ सेहो द दैत अछि।
2. थकान थकान के अनुभूति होइत अछि। शारीरिक स्फूर्ति कम भ गेल अछि ई अनुभूति कs आलस्य मे रहैत छी।
3. ठीक सँ सुतैत नहि छी। कहैत छी जे नीन्द मे दिक्कत भ रहल अछि।
4.अरुचि सेहो भ जाइत अछि। भोजन रुचि पूर्वक नहि करैत छी।
5.अनुभव करैत छी जगह जगह हमर
माँश पेशी ऐंठ रहल अछि।
6. पैर और टखना फुलि जाइत अछि।
7.आँखि केर निचुलका हिस्सा सेहो फूलि जाइत अछि।
8. शरीरक त्वचा रुक्ष भ जाइत अछि।
9. देर रात्रि मे पेशाबक वेग किछु अधिके आबय लगैत अछि।
ई सब भेल छोट छोट लक्षण । मगर एहि सब लक्षण सँ एहि निष्कर्ष पर कदाचित नहि जा सकैत छी जे किडनी बीमारी भइये गेल। मगर संभावना त अछिये जे हो न हो कहीं किडनी बीमारी नहि त भ रहल अछि। तें जांच करा पक्का भ जाय ताहि मे कोन हर्जा।
(ख)किडनी बीमारीक किछु गम्भीर लक्षण जकरा पर ध्यान देनाय अति आवश्यक होइत अछि।
हर समय जी मिचलैत रहब, रद्द होयब, भोजन करबाक बिल्कुल इच्छा नहि होयब, पेशाब भेनाइ बिल्कुल कम भ जायब, लाल रक्त कोशिका कम भ जायब, शरीर मे पानि जमा भ जायब(fluid retention), शरीरक पोटासियम स्तर सामान्य सँ अधिक एकाएक भ जायब, हृदय(heart) के ऊपरी भाग पेरीकार्डियम फुलि जायब एहि तरहेँ ई सब गम्भीर लक्षण होइत अछि जाहि पर तुरन्त ध्यान द प्रतिकारक हेतु उपाय प्रारम्भ क देबाक चाही।
*संभाव्य कारक*
किडनी बीमारी किनका होइक अधिक संभावना होइत अछि।
1. अगर कियो मधुमेह सँ ग्रषित होइत छथि आ ओहि पर ओ ध्यान नहि दैत छथि तखन संभावना रहैत अछि जे क्रमिक रूपेन हुनकर किडनी खराब भ रहल छन्हि।
2. अगर किनको सदैव रक्त चाप बढ़ल रहैत छन्हि आ ओ एकर उपचार नहि करैत छथि तखन हुनको किडनी बीमारी हेबाक संभावना रहैत छन्हि।
3. परिवार में जँ किनको क्रोनिक किडनी बीमारी भेल छन्हि , तs किछु संभावना रहैत छैक किडनीक बीमारी लेल।
4.बहुत अधिक उम्रक लोक कें सेहो संभावना रहैत छैक किडनी संबंधित बीमारी लेल।
*परीक्षण*
चिकित्सक लोकनि विभिन्न तरहक परीक्षण कय पता करैत छथि जे किडनी बढियां जकाँ अपन कार्य क रहल छैक वा नहि। अगर नहि त की स्थिति छैक। आ तद अनुकूल उपचार करैत छथि।
1. GFR परीक्षण।
ई परीक्षण अछि "ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट"
एहि परीक्षण सँ पता चलि जाइत अछि जे किडनी कतेक नीक जकाँ अपन कार्य क रहल छैक। अर्थात किडनिक कार्यक वास्तविक स्थित की छैक।
2. अल्ट्रासाउंड / सी टी स्कैन
एहि सँ चिकित्सक देखि ई पता करैत छथि जे किडनिक आकार प्रकार (shape/size) ठीक अछि कि नहि, कोनो ट्यूमर नहि त छैक, पेशाब नली(Urinary tract) सेहो देखि लैत छथि। एहि तरहेँ देखि पता करैत छथि जे किडनी सामान्य अछि वा नहि।
3. बॉयोप्सी
एहि परीक्षण मे चिकित्सक मरीज कें बेहोश क एक टा छोट टुकड़ी किडनी मे सँ निकालि परीक्षण करैत छथि आ पता करैत छथि जे कोन तरहक बीमारी छैक आ किडनी के कतेक जोखिम पहुँचेने छैक।
4. पेशाब परीक्षण
एहि परीक्षण सँ चिकित्सक पता करैत छथि जे पेशाब मे कहीं एल्ब्यूमिन नहि त आबि रहल छैक। एल्ब्यूमिन एक तरहक प्रोटीन छैक आ ओकर पेशाब मे उपस्थित बतबैत छैक जे किडनीक क्षति भ रहल छैक।
5.रक्त क्रेटीन स्तर परीक्षण
ओकर सामान्य स्तर होइत अछि 0.5 सँ 1 .0 धरि। जँ सामान्य सँ बढ़ल अबैत अछि तखन ई इंगित करैत अछि जे किडनी के क्षति भ रहल छैक।
एहि तरहेँ ई सब विभिन्न तरहक परीक्षण होइत अछि जाहि सँ चिकित्सक लोकनि एहि निष्कर्ष पर पहुँचैत छथि जे किडनीक बीमारी छैक वा नहि। अगर छैक तँ कोन स्थिति मे छैक। तद अनुकूल उपचार करैत छथि।
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