किडनी आ ओकर संबंधित बीमारी
पाचन तंत्र मे किडनीक भूमिका अति महत्वपूर्ण होइत अछि। आइ काल्हि देखि रहल छी जे अधिकांश लोक किडनी सम्बंधित बीमारी सँ ग्रसित भ जाइत छथि। हम किडनी आ ओहि सँ सम्बंधित बीमारी आ ओकर सुरक्षा आ उपचार विषय मे चर्चा कय रहल छी।
किडनीक भूमिका शरीर मे उपस्थित लवण, पोटासियम, फॉस्फोरस इत्यादि कें नियंत्रित करै मे मुख्य अछि।
किडनिक बीमारी अहाँक खाइ-पिबैक आदैत , जीवन चर्या, आ वंशानुगत कारक इत्यादि कारण सँ होइत अछि।
किडनी जोड़ा मे होइत अछि, ठीक पाँजारक निच्चा मे। ओकर आकार मुट्ठी जकाँ होइत अछि। ओ मेरुदंडक
दुनू भाग मे रहैत अछि । एक टा एक भाग आ दोसर दोसर भाग मे।
किडनी स्वस्थ रहैक लेल परम आवश्यक अंग होइत अछि। ओ रक्त के छानि शुद्ध करैत अछि। रक्त मे अवस्थित विषाक्त पदार्थ, व्यर्थ पदार्थ या अन्य सब दोषपूर्ण पदार्थ के छानि कें हटा दैत अछि। ई व्यर्थ पदार्थ सब थैली मे जमा भ जाइत अछि आ ओ पेशाव माध्यम सँ वाहर निकैल जाइत अछि।
किडनी शरीरक पीएच(PH) नियंत्रित करैत अछि, ओ एक तरहक हॉर्मोन श्रावित करैत अछि जे रक्त चाप नियंत्रित करैत अछि, रक्त कोशिका निर्माणक प्रक्रिया मे सेहो किडनिक भूमिका अछि आ ओ एक तरहक
विटामिन डी कें सक्रिय करैत अछि जे आँत द्वारा कैल्शियम अवशोषण मे सहायक होइत अछि। एहि तरहेँ किडनी अति महत्वपूर्ण अछि।
अधिक रक्त चाप आ मधुमेह सँ किडनी क्रमिक रूप सँ खराव भ जाइत अछि। अधिक तर अनेक तरहेँ शरीर रुग्ण रहलाक कारण सँ सेहो किडनी पर असैर पड़ि जाइत अछि।
किडनीक खराबी सँ अनेकानेक शारीरिक समस्या आबि जाइत अछि। हड्डी कमजोर, नस कमजोर, शरीर मे विटामिन आ पौस्टिक तत्व सभक बहुत कमी इत्यादि होमय लागैत अछि। अगर बहुत दिन तक किडनी खराब रहैत अछि त अंततः पूर्ण रूपेण किडनी काज केनाय बन्द क दैत अछि आ तखन मरीज कें डायलायसिस पर राखि रक्त के साफ शरीर सँ बाहर करय पड़ैत अछि। एहि सँ बीमारी छुटैत नहि अछि बल्कि किछु समय तक एहि उपचार सँ जिंदगी जरूर बाँचल रहैत अछि। तेँ हेतु किडनी केना स्वस्थ बनल रहय एहि पर प्रारम्भ सँ ध्यान देबाक चाही।
किडनी सबन्धित अनेक तरहक बीमारी होइत अछि।
1. दीर्घकालिक किडनी बीमारी।
जखन रक्तचाप बढ़ल रहैत अछि या मधुमेह रहैत अछि तखन धीरे धीरे ओ किडनी मे अवस्थित ग्लोमुरेलाई के क्षति पहुँचबैत अछि। ग्लोमुरेलाइ किडनी मे अवस्थित अत्यंत लघु रक्त वाहिका होइत अछि तथा इएह रक्त के छनैत अछि आ दोषपूर्ण पदार्थ के हटवैत अछि। क्रमसः धीरे धीरे अधिक रक्त चाप तथा मधुमेह सँ ओ अंततः पूर्णरूपेण क्षति भ जाइत अछि आ तखन कहैत छी जे किडनी काज केनाय बन्द क देलक अर्थात किडनी फेल। एहि तरहक किडनीक खराबी दीर्घकालीक बीमारी कहल जाइत अछि।
2. किडनी मे पाथर।
जखन व्यर्थ पदार्थ तथा खनिज तत्व(minerals) सभक क्रिस्टिलीकरण किडनी मे भ जाइत अछि तखन ओ ठोस पाथर रूप मे किडनी मे खराबी करैत अछि। अक्सर छोट पाथर पेशाव माध्यम सँ निकलि जाइत अछि मगर नमहर तँ शल्य चिकित्सा सँ बाहर निकालल जाइत अछि। समय सँ उपचार कय पूर्ण रूपेण एहि सँ चंगा भेल जा सकैत अछि।
3. ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस
जखन ग्लोमेरु अर्थात किडनिक अंदरक छोट नलवाहिका संक्रमित भs
फुलि (inflamted) जाइत अछि , ओकरा "ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस" कहल जाइत अछि। कखनो काल बच्चाक जन्म काल ओ भ जाइत छैक परञ्च ओ अपने ठीक भ जाइत छैक। एकर उपचार एन्टीइन्फेक्शन दवाइ सँ भय जाइत अछि।
4.पॉलीसिस्टिक बीमारी।
किडनी मे साधारण सिस्ट भ सकैत अछि। कखनो काल एहि सिस्ट सभक कारणे किडनीक कार्य वाधित होइत अछि।
5. मूत्र प्रणालीक संक्रमण ( Urinary tract infection) आ तत्पश्चात किडनी बीमारी।
मूत्र प्रणाली मे रोगाणु द्वारा संक्रमण होयब सामान्य थिक। ई संक्रमण, बैक्टीरिया द्वारा होइत अछि। ई पूर्णतया दवाइ सँ ठीक भ सकैत अछि। अगर ओकरा संक्रमित छोड़ि देल जाइत अछि तखन संक्रमण किडनी धरि पहुँचि जाइत अछि। ताहि सँ क्रमिक रूपेण किडनी कार्य वाधित होइत अछि। अंततः किडनी फेल भ जाइत अछि। तेँ समय रहैत मूत्र प्रणालीक संक्रमण चिकित्सक सुझाव अनुरूप दवाइ खा पूर्णतया ठीक क लेबाक चाही।
विशेष और बात अगिला ब्लॉग मे।
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