हृदय मे अवस्थित वाल्व(वाल्व)

 

आई हम वाल्व के चर्चा कए रहल छी। वाल्व हृदयक चैम्बर सभ मे नस कें बीच फाइबर सँ बनल फ्लैप होइत अछि जे रक्त के सदैव आगाँ तरफ जाय , पाछाँ तरफ घुरि नहि अबैक ताहि लेल उपस्थित रहैत अछि। वाल्व सुनिश्चित करैत अछि जे रक्तक वहाव एक्के दिशा (Unidirection) मे होइक।

वाल्वक कार्यक अनुसार ओ दू प्रकारक होइत अछि।

1.एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व:-  एट्रिया और वेंट्रिकलक बीच जे वाल्व होइत अछि ओकरा एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व कहल जाइत अछि। दहिना कातक एट्रिया आ वेंट्रिकल कें बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा ट्रिकसपिड(Tricuspid) वाल्व कहल जाइत अछि।

ओही तरहें वामा तरफ एट्रिया आ वेंट्रिकल कें बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा मिटरल(Mitral) वाल्व कहल जाइत अछि।

2.सेमिळूनर वाल्व(अर्ध चंद्राकार वाल्व):- वामा कातक वेंट्रिकल तथा  ऐरोटाक बीच जे वाल्व होइत अछि तकरा सेमिळूनर वाल्व कहल जाइत अछि। ओही तरहेँ दहिना कातक वेंट्रिकल तथा

पल्मोनरी धमनीक बीच एक टा वाल्व रहैत अछि तकरो सेमिळूनर वाल्व कहल जाइत अछि।

सारांश मे हृदयक वाह्य एवं आंतरिक सभ अंगक चर्चा कएल 

अगिला ब्लॉग मे हृदय सम्बन्धित बीमारी , लक्षण, परीक्षण(tests) आ उपचार इत्यादि विषय मे चर्चा करब।





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