किडनी सम्बन्धित बीमारी हेतु उपचार
वास्तविकता अछि जे एकर उपचार मे ई ध्यान देल जाइत अछि जे बीमारी होइक कारण की सब छलैक। कहीं शरीरक रक्त चाप नहि त बढ़ल रहैत छलैक, कहीं मधुमेह नहि त बढि गेल छलैक, कहीं कोलेस्ट्रॉल नहि त बढ़ल छलैक, ई सब ध्यान मे रखैत चिकित्सक ओहेन दवाइ दैत छथि जाहि सँ ई सब नियंत्रण मे रहैक आ किडनीक खराबी और नहि बढ़ै । किडनी अपन कार्य करैत रहैक ओकर ध्यान देल जाइत अछि, अर्थात ओकर कार्य करैक क्षमता संरक्षित रहैक। एहि मे चिकित्सक फूलनाइ कम होइ लेल तथा लाल रक्त कोशिका मे बृद्धि होइक लेल(जँ एनीमिया भ गेल छैक) दवाइ द सकैत छथि अगर एहि सब तरहक लक्षण देखा पड़ैत छैक।
समुचित डाइट या खानपानक महत्व दवाइ सँ कम नहि तें ओहि पर ध्यान देनाय अति आवश्यक भ जाइत छैक। किडनी संदर्भित बीमारीक कारण सभ कें दूर करवाक लेल नीचा लिखल किछु परामर्श अछि।
1. खान पान और दवाइ के प्रवन्धन ओहेन हेवाक चाही जे मधुमेह बिल्कुल नियंत्रण मे रहय।
2.अधिक कोलेस्ट्रॉलयुक्त पदार्थ नहि खेबाक चाही।
3. प्रति दिनक आहार मे नूनक मात्रा कम करी।
4. जे पदार्थ हृदय(heart) स्वास्थ्य लेल बढियां नहि छैक जेना तेल घी के आहार मे वर्जित या कम करू। ओहि लेल बढियां जे होइत छैक जेना फल सब्जी इत्यादि ओकरा पर ध्यान देवाक चाही।
5. मदिरा पान तथा सिगरेट बिल्कुल वर्जित।
6. प्रति दिन शरीर सँ कार्यशील
(active) रहू। हल्का टहलनाइ फायदा करत।
7. अपन शरीरक वजन नियंत्रित रहबाक चाही।
जँ एक बेर किडनी खराब भ गेल तँ ओ और अधिक खराब नहि हो ताहि लेल उपचार होइत अछि । आगाँ जँ खराब होइते जायत तँ अंततः किडनी अपन कार्य केनाय पूर्णतःबन्द कय दैत छैक। ओहना परिस्थिति मे मात्र डायलीसिस उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट ई दू टा उपाय अछि। डायलीसिस मे रक्त के गंदगी के छानैक प्रक्रिया शरीर सँ बाहर मशीन द्वारा होइत अछि । 3-4 घंटा लागि जाइत छैक प्रक्रिया मे। अक्सर सप्ताह मे औसतन 3 बेर कराबय पड़ैत छैक।(मरीजक हालत जेहन होइत अछि तेहन उपचार)
ट्रांस्प्लांट मे जँ कियो डोनर तैयार होइत छथिन्ह तखन हॉस्पिटल तथा चिकित्सक कें सब तरहेँ किडनी मैचिंग संदर्भित संतुष्टि उपरान्त किडनी ट्रांसप्लांट कs देल जा सकैत अछि।
सर्वोत्तम तथ्य अछि जे सभ कियो के अपन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हेबाक चाही। एक तँ ओहेन दिन चर्या, आहार - विहार हेबाक चाही जे किडनी खराब हेबाक संभावना बिल्कुल नहि वा बहुत कम होइक । दोसर संभाव्य कारण सँ प्रभावित छी वा नहि , कहीँ खराब भेनाइ प्रारम्भ नहि त भ गेल ताहि लेल नियमित जांच अवश्य करेबाक चाही ताकि समय रहैत प्रतिकार कs सकी।
विशेष ध्यान देवाक योग्य बात जाहि सँ किडनी संबंधित बीमारीक संभावना के कम कएल जा सकैत अछि।
1. जँ एस्पिरिन या आइब्रूफेन दवाइ खाय पड़ैत अछि तँ चिकित्सक परामर्श सँ ओकर खोराक़ प्रवन्धन हेतु अवश्य संपर्क करू। कारण ओ किडनी कें क्षति पहुँचबैत अछि। कोशिश करू कम खाय के प्रयोजन होइक। अपने मोने नहि। चिकित्सक केर अनुशंसा परम आवश्यक।
2.दिन भरि मे पानि उचित सँ कम कथमपि नहि पिबू। शरीरक मुताविक जे उचित अछि अवश्य पीबू।
3.रक्त चाप तथा मधुमेह बीमारी बिल्कुल नियंत्रण मे रहय ताहि लेल प्रवन्ध करवाक चाही।
4. सिगरेट आ मदिरा सँ परहेज केनाय नीक रहत।
5. खान पान मे नूनक मात्रा कम रहय ओकर प्रयास बढियाँ रहत।
6. अधिक नून, अधिक जानवर वला प्रोटीन(चिकन), पालक, बीट, सकरकंद मे ओहेन रसायन सेहो होइत अछि जाहि सँ किडनी मे पथरीक संभावना बढ़बैत अछि तेँ ओ सब समीचीन रूप सँ खेबाक चाही।
7. बिना चिकित्सक परामर्श अन्हाघाहिस कैल्शियम सप्लीमेंट सेहो ठीक नहि। कारण कोनो कोनो सप्लीमेंट किडनी पथरीक संभावना बढ़बैत अछि।
सब किछु के बाद ई श्रेयस्कर होयत जे समय समय पर सब किछु लेल नियमित जांच कराओल जाय ताकि समय पर समुचित खान पान और दिनचर्या सँ सभ किछु नियंत्रण कए सकी।
Comments
Post a Comment