गैस्ट्रोओसोफेजिअल रिफ्लक्स बीमारी(GERD)

 18.11.2022

*गैस्ट्रो ओसोफेजिअल रिफ्लक्स  बीमारी*

पाचन तंत्र सँ सम्बंधित ई एक प्रमुख बीमारी अछि। ई बीमारी खान -पानक गड़बड़ी आ अनियमित दिन चर्याक कारणे अधिक लोक कें भs जाइत छन्हि। बस्तुतः  जखन अमाशयक अम्ल बारम्बार  उल्टा तरफ ओसोफेगस (मुँह सँ अमाशय तकक नली) मे आबय लागैत  अछि तखन ओसोफेगस नलीक अन्तः देवाल पर जलन होमय लगैत अछि। एहि तरहक असामान्य स्थिति कें गैस्ट्रो ओसोफेजिअल रिफ्लक्स  बीमारी* कहल जाइत अछि।


लक्षण:-छाती मे जलनक अनुभूति होइत अछि। सामान्यतया खेलाक बाद ई जलन बढि जाइत अछि । राति मे लेटल अवस्था मे खास केs बढि जैत अछि।खायल भोजनक  किछु अंश या खट्टा तरल मुँह मे  ऊर्ध्वनिक्षेप होमय लागैत अछि।


पेटक ऊपरका भाग मे  तथा छाती मे दर्द भs सकैत अछि। भोजन घोंटै (swallow) मे सेहो दिक्कत भs सकैत अछि। एहि तरहक अनुभूति सेहो भs सकैत अछि जे , गला मे किछु लटकल अछि।


अधिकतर लोक अपन एहि  तरहक असामान्य स्थिति कें  खान पान मे आ रहन सहन मे सुधार कय सुधार कs लैत  छथि,  किछु कें चिकित्सक द्वारा सुझाव कएल दवाइ खेला सँ सुधार भ जाइत छन्हि।  



 किछु लोक कें  विशेष परिस्थिति मे शल्य चिकित्सा करेबाक प्रयोजन सेहो पड़ि सकैत अछि, मुदा सामान्य रूपें एकर जरूरत कम्मे होइत अछि।


होइत ई अछि जे ओसोफेगसक निचला भाग जतय ओ आमाशय सँ मिलैत अछि,  ओहिठाम ओसोफेगस नलीक अंदर माँसपेसी सँ बनल  गोलाकार बैंड होइत अछि। ओही ठाम एक टा स्फिंक्टर होइत अछि जे वाल्व(valve) के काज करैत अछि। भोजन कें ओसोफेगस सँ आमाशय मे जाइत काल ई बैंड विश्राम(relax) करैत अछि आ भोजन घोंटा आमाशय मे चल जाइत अछि। ओकर तुरन्त बाद स्फिंक्टर बन्द क दैत छैक एहि बैंड कें।  आब आमाशय मे गेल भोजन वापस ओसोफेगस मे नहि भ सकैत अछि। ई प्रक्रिया अछि घोंटैक। जखन बैंड आ स्फिंक्टरक माँसपेसी कमजोर भ जाइत अछि तखन भोजन या तरल पदार्थ उल्टा अर्थात आमाशय सँ ओसोफेगस तरफ जा सकैत अछि।


एकरे जखन गंभीरता बढि जाइत अछि तँ शल्य चिकित्साक प्रयोजन पड़ैत अछि।


संभावित परिस्थिति सभ,  जखन ई  बीमारी  एवं ओकर लक्षण औरो अधिक बढ़ि  सकैत अछि ई नीचा लिखि दय रहल छी।

1. जँ मोटापा बढैत अछि।

2.जँ आमाशय केर उपरका भाग नमहर भ जाइत अछि या ओहि मे उभार (bulging) आबि जाइत अछि। इहो एकटा बीमारी होइत अछि जकरा हियाटल हर्निया(Hiatal hernia) कहल जाइत अछि।


3. स्त्रीगण कें गर्वावस्था मे एकर लक्षण बढि सकैत अछि।

4. संजोजी उत्तक(connective tissue) संबंधित बीमारी जकरा कारण सँ माँसपेसी कमजोर होइत अछि , ताहू सँ ई गैस्ट्रोओसो फेजिअल रिफ्लक्स बीमारी भ सकैत अछि। स्फिंक्टर कनेक्टिव टिश्यू सँ बनल

रहैत अछि।

5. धूम्रपान सँ ई बीमारी बढि सकैत अछि। सामान्य सँ अधिक भोजन केला सँ, राति मे देरी सँ खेला सँ, तरल भूजल पदार्थ अर्थात अधिक वसायुक्त चीज सब खेला सँ सेहो ई बीमारी बढ़ैत अछि। तरह तरह के पियै बला तरल(beverage) बाजार मे आबि गेल अछि जेना कि ठंढा पेय(कोल्ड ड्रिंक)  ओहो सब एहि लेल खराब अछि। मदिरा पान सेहो एहि बीमारी मे लाभ नहि करत बल्कि अधिके खराबी करत।


बहुत दिन तक अगर ओहि बीमारी कें नीक सँ ध्यान नहि देल जाय तँ ओसोफेगस सुजि जाइत छैक, नली  पातर भ जायत छैक, आ गंभीर स्थिति केर लक्षण सब सेहो आबय लागैत छैक। तेँ हेतु तत्पर भs नीक सँ ध्यान दय ओकरा बढ़ै  सँ रोकबाक चाही। समय पर उपचार, एवं पथ्य, परहेज सँ  ई बीमारी पूर्ण रूपेण ठीक भs सकैत अछि।

चिकित्सक एहि बीमारी कें विभिन्न तरहक परीक्षण जेना एनडोस्कोपी

एक्स -रे इत्यादि सँ करैत छथि।

हि बीमारीक प्रतिकारक लेल चिकित्सक सबसँ पहिले सुझाव दैत छथि जे जीवन चर्या आ खान पान मे परिवर्तन करी। जखन ओहि सँ आराम नहि होइत अछि तखन ओ नीचा लिखल किछु दवाइ हेतु सुझाव दैत छथि। कोनो दवाइ विना चिकित्सकक सुझाव के प्रयोग नहि करक चाही।

दवाइ सब एहि तरहेँ अछि।

1.एंटासिड:- ई दवाइ  ओसोफेगस आ आमाशयक अम्ल के वेअसर करै मे सहायक होइत अछि। छातीक जलन सेहो कम होइत अछि।

2. एच -2 ब्लॉकर(H2 ब्लॉकर) : ई दवाइ सँ आमाशय मे अम्ल श्रावित होइ सँ रोकल जाइत अछि। एहि दवाइक प्रयोग पुरान(chronic) रिफ्लक्स बीमारी  मे होइत अछि। मरीज बहुत दिन सँ छाती जलन सँ परेशान रहैत छथि तखन चिकित्सक हुनका एहि दवाइ लेल सुझाव कs सकैत छथिन्ह। विना चिकित्सक परामर्श ई दवाइ कथमपि नहि  खेबाक चाही।

3.प्रोटोन पंप अवरोधक(Proton pump inhibitor):- आमाशय मे अम्ल बनैक लेल एक प्रोटीनक जरूरत पड़ैत छैक। ओहि प्रोटीन के अवरुद्ध करैक हेतु एहि दवाइक सुझाव चिकित्सक दs सकैत छथि। इहो दवाइ विना चिकित्सक परामर्श कथमपि नहि खेबाक चाही।

4.ऊपर किछु अंग्रेजी दवाइक चर्चा केलहुँ अछि। एकर अलावा अपन किचन मे बहुत ओहेन पदार्थ सेहो उपलब्ध रहैत अछि जे कि सेहो लाभ क सकैत अछि। इहो सब जानकार आयुर्वेदिक चिकित्सकक परामर्श सँ उपयोग करी तँ श्रेयस्कर। किचनक पदार्थ अछि, जीर,आद, अजमाइन, हींग इत्यादि।

एहि प्रकार सँ आइ गैस्ट्रोओसोफेजिअल  बीमारीक चर्चा केलहुँ। अगिला ब्लॉग मे फेर कोनो दोसर बीमारीक चर्चा करब।

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