पाचन तंत्र।(Digestive System)

 17.11.2022


पूरा शरीरक सबसँ छोट इकाई कोशिका होइत अछि। खड़बो कोशिका मिलि शरीरक संरचना करैत अछि। प्रत्येक कोशिका भोजन सँ पोषक तत्व लए ओकरा ऊर्जा मे परिवर्तित करैत अछि आ अपन अपन विशिष्ट कार्य करैत अछि।


कोशिका सब मिलि उत्तक(tissue) बनवैत अछि। उत्तक सब मिलि अंग बनवैत अछि। अंग सब मिलि शरीरक अंगतंत्र बनवैत  अछि। अंगतंत्र सब मिलि पूरा शरीर होइत अछि।


ओही अंग तंत्र मे एक अंग तंत्र होइत अछि पाचन तंत्र।  एकर अलावा सम्पूर्ण शरीर मे अलग अलग तंत्र काज करैत अछि । सब तंत्र अगर समुचित रूप सँ काज करैत अछि तँ शरीर पूर्ण स्वस्थ रहैत अछि। सब तंत्रक विषय मे कनियो मनियो जानकारी अगर होयत तँ आभास होयत जेअपनहि शरीर मे कतेक तरहक कार्य कतेक पद्धतिवार ढंग सँ भय रहल अछि। ई सब कार्य परमेश्वर द्वारा रचित प्रत्येक जीव मे स्वयं होइत अछि। ई सब परमेश्वरक व्यवस्थित शक्ति सँ होइत अछि। अगर हम सब कनी उपरो सँ अपना आप के खान पान तथा रहन सहन व्यवस्थित कय लेब तँ जीवन पर्यन्त स्वस्थ रहि सकैत छी।

पाचन तंत्रक अलावा जे तंत्र सब होइत अछि ओ थिक

परिसंचरण तंत्र, अंतःस्रावी तंत्र, उत्सर्जन तंत्र, प्रजनन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, श्वसन तंत्र, कंकाल तंत्र और मासंपेशी तंत्र।


 *पाचन तंत्र।* 

पाचन तंत्रक संरचना विशिष्ट अछि। हम सब जे भोजन करैत छी , ओकरा ओ तोड़ि पोषक तत्व मे परिवर्तित करैत अछि। शरीर एहि पोषक तत्व सँ उर्जा निर्मित कय ओहि सँ अपन बृद्धि संग संग कोशिका सभक मरम्मत(repair) करैत रहैत अछि।


पाचनतंत्र मे रास्तानुमा एक जठरांत्र पथ( गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट) होइत अछि जे कि मुख सँ गुदा तक होइत अछि। ओहि मे आरो सव महत्वपूर्ण अंग होइत अछि जे विशिष्ट और महत्वपूर्ण कार्य करैत अछि।


1. मुँह:- जठरांत्र पथ (गैस्ट्रो इंटेटिनल ट्रैक्ट) मुँह सँ प्रारम्भ होइत अछि। पाचन क्रिया मुँह सँ शुरू भ जाइत अछि।  जखने कोनो भोजन ग्रहण करैत छी, मुँह मे चिबा चिबा कए भोजन कें छोट छोट टुकड़ा मे तोरल जाइत अछि ।  मुँह सँ श्रावित लार आ

 ओहि मे उपस्थित अनेक प्रकारक एंजाइम, भोजन तत्व कें आँत द्वारा  अवशोषित करवाक हेतु उपयुक्त बनेनै मुँह सँ प्रारम्भ कय दैत अछि।



2. गला:- पाचन तंत्र मे मुँहक बाद कएल भोजन कें आगाँ तरफ जाय लेल दोसर स्थान गला होइत अछि।


3. ग्रसिका (esophagus ) :- लगभग 25 सेंटीमीटर लंबा एक  नली होइत अछि जे  गला(Pharynx) सँ प्रारम्भ भs आमाशय तक पहुँचैत अछि।ओहि नली सँ भोजन आगाँ तरफ बढि आमाशय मे पहुँचैत अछि।


ग्रसिका नली माँसपेशी सँ बनल रहैत अछि। माँसपेसी कें संकुचन और विश्राम सँ भोजन आगाँ बढ़ैत रहैत अछि। एहि प्रक्रिया के पेरिस्टलसिस कहल जाइत अछि। आमाशय सँ ठीक पहिले ग्रसिका मे एक स्फिंक्टर वाल्व होइत छैक जे भोजन वापस आमाशय सँ ग्रसिका मे नहि आबय दैत छैक।


4. आमाशय(stomach):-

आमाशय थैलीनुमा होइत अछि। एकर देवाल माँसपेसी सँ बनल रहैत अछि आ काफी मजबूत होइत अछि। आमाशय मे भोजन के बुझू जे मिक्सर   ग्रिनडर जकाँ मथल जाइत अछि। आमाशय मे अम्ल तथा एंजाइम सब द्वारा भोजन के और नीक जकाँ तोड़ल जाइत अछि ताकि भोजन तत्व सब आँत द्वारा अवशोषित भs सकय। आमाशय मे भोजन अर्धतरल / पेस्ट रूप मे  भs  जाइत अछि आ  एहि तरहेँ छोटकीआँत मे जाय लेल तैयार भय  जाइत अछि।



5.छोटकी आँत(क्षुद्रांत्र):-मात्र एकर नाम छोटकी अछि परञ्च एकर लंबाई 20 फीट सँ अधिक होइत अछि।  ई आँत पेट मे  माँसपेसी सँ बनल नलीक लच्छा रूप मे  रहैत अछि।  मुख्यतया एकर तीन खंड (सेगमेंट) होइत अछि। पहिल के डियूडेनम कहल जाइत अछि। दोसर के जेजुनम, आ तेसर के इलियम  कहल जाइत अछि। आँत मे आमाशय सँ आयल भोजन अगर और टूटै योग्य अछि ओकरा  अग्न्याशय सँ श्रावित बहुतों एंजाइम सब से तथा यकृति सँ श्रावित पित्तक सहयोग सँ ओकरा तोरैत अछि तथा पोषक तत्व अलग कs अवशोषित करैत अछि। पोषक तत्व सब अवशोषित भs रक्त मे प्रवेश  एही आँत मे करैत अछि। भोजन तुटब प्रक्रिया डियूडेनम मे होइत अछि। अवशोषण के कार्य जिजुनुम तथा इलियम मे होइत अछि।


यकृति सँ श्रावित पित्त द्वारा वसा के पाचन होइत अछि संगहि ओ रक्त मे उपस्थित अपशिष्ट (waste) पदार्थ  के हटवैत अछि।


छोटकी आँत मे सेहो संकुचन आ विश्रामक प्रक्रिया सँ पेरिस्टलसिस(क्रमाकुंचन) होइत रहैत अछि ताकि श्रावित पाचक रस सभ संगे  भोजन नीक तरहेँ मिश्रित भs बढियां जकाँ पचि जाय।


6. पाचन तंत्र मे यकृति, अग्न्याशय तथा पित्तक थैली ई तीन अंग बहुत महत्व रखैत अछि। यकृति तँ पित्त श्रावित होइत अछि जे कि वसा के पाचन तथा रक्त के वेकार पदार्थ के हटवैत अछि। अग्न्याशय एंजाइम श्रावित करैत अछि आ आँत के दैत छैक जाहि सँ कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन , वसा इत्यादि पचि जाइत अछि । आँत द्वारा पोषक तत्व अवशोषित भs रक्त मे जाइत अछि। पित्तक थैली यकृति के ठीक पाँछा मे रहैत अछि। यकृति द्वारा  श्रावित पित्त ओहि थैली मे जमा होइत अछि। जखन हम सब भोजन करैत छी तखन पित्तक थैली संकुचित भs पित्त रस आँत के दैत अछि ताकि पाचन क्रिया मे सहयोग होइक। पित्तक थैली यकृति सँ एक वाहिनी (duct) द्वारा जुरल रहैत अछि जाहि माध्यम सँ पित्त यकृति सँ पित्तक थैली मे जमा होय लेल अवैत रहैत अछि। बुझू त पित्तक थैली पित्त केर संग्रह स्थल (store)थिक।


7. बड़की आँत(बृहदान्द्र):- ओकरा कोलोन सेहो कहल जाइत अछि।  कोलोनक लंबाई 5 सँ 6 फीट होइत अछि। कोलोन माँसपेसी सँ बनल एक नली होइत अछि जे बड़की आँतक प्रथम भाग सिकम(cecum) सँ जुरल रहैत अछि  आ ओकर अंतिम भाग मलाशय सँ जुरल रहैत अछि। सिकम सँ अपेंडिक्स (अनुबन्ध) जुड़ल रहैत अछि।



छोटकी आँत मे जखन पोषक तत्व सब अवशोषित भs जाइत अछि, अधिकतर पानिक अंश सेहो निकलि जाइत अछि तखन जे किछु भोजनक शेष बचैत अछि ओ बड़की आँत मे आबि जाइत अछि।



बड़की आँत मे सेहो किछु बाँचल खोंचल पाचन क्रिया भ जाइत अछि तखन जे  बेकार अवशेष बाँचल रहैत अछि ओ तरल तथा मल रूप मे संकुचन आ विश्रमक प्रक्रिया (पेरिस्टलसिस ) सँ आगाँ बढ़ैत अछि । तकर बाद जखन कोलोन मल सँ भरैत अछि त ओ मलाशय मे आबि जाइत अछि। एहि  सब कें मलाशय तक जाय मे करीब 36 घंटा लागि जाइत अछि। मल मे भोजनक  बेकारअवशेष (Debris)  तथा बैक्टीरिया सब रहैत अछि। ई बैक्टीरिया सब विटामिन संश्लेषण मे सहयोग करैत अछि। ई बैक्टीरिया सब हानिकारक बैक्टीरिया सँ सेहो रक्षा करैत अछि।


8. मलाशय:- मलाशय करीब 8 इंचक एक माँसपेसी सँ बनल एक प्रकोष्ठ होइत अछि जे कोलोन सँ जुरल रहैत अछि आ गुदा सँ सेहो। मलाशय के कार्य अछि जे कोलोन सँ मल प्राप्त केनाय और ओकरा खाली करैक हेतु मस्तिष्क कें संदेशक माध्यम सँअनुभूति कराबय। जाबत धरि मल खाली नहि भ जाइत  अछि ताबत धरि ओ मलाशय मे रहैत अछि। जखन कखनो मलाशय मे मल या गैस प्रवेश करैत अछि तखन शरीरक ग्रहणशील (sensor)  मस्तिष्क कें सुचित करैत अछि आ मस्तिष्क निर्णय करैत अछि कि खाली करैक स्थिति अछि या नहि। खाली करैक निर्णय भेला पर स्फिंक्टर माँसपेसी विश्रामक(relax) स्थिति मे अबैत अछि आ मलाशय संकुचित होइत अछि। ताहि सँ मलाशय खाली भ जाइत अछि। ई क्रिया भेलाक बाद खाली करवाक अनुभूति अन्त करैत अछि आ तखन स्फिंक्टर संकुचित होइत अछि तथा मलाशय सामान्य स्थिति मे आबि जाइत अछि।



9. गुदा:- पाचन तंत्रक अंतिम अंग गुदा होइत अछि। मल कखन  बाहर हुए, कखन  बाहर नहि हुए , मलाशय सँ ठोस या तरल या गैस  ककर वेग अछि  इत्यादि सभक  जानकारी ,गुदा क्षेत्रक माँसपेसी  आ स्फिंक्टर माँसपेसी दैत अछि।


एहि तरहेँ आइ हम पाचन तंत्रक बारे में चर्चा कयलहुँ। अगिला ब्लॉग मे एहि सँ संबद्ध प्रमुख बीमारी  सब बारे मे संगहि ओहि सँ कोना सुरक्षित होइ ताहि लेल चर्चा करव।

Comments

Popular posts from this blog

अस्थिर एनजाइना हेतु उपचार

हृदय सँ सम्बन्धित बीमारी(अस्थिर एनजाइना)